इन सब कारणों से जो भी इस चिट्ठे पर आता है उसे एकदम अपराधी मानना गलत है.
3.
यदि 1945 में मर चुके थे तो उसके बाद 1999 तक युद्ध अपराधी मानना अपने आप में षक पैदा करता है।
4.
दूसरा वह व्यक्ति होता है जिसके ऊपर कोई भी आरोप क्यों न लगे, कोई उसे अपराधी मानता ही नहीं है, कोई उसे अपराधी मानना ही नहीं चाहता है, कोई उसे अपराधी मान ही नहीं सकता है.
5.
उन्हों ने इस घटना पर जो कुछ कहा है वही सच्चाई मानी जानी चाहिए और न्यायिक प्रक्रिया जो भी हो, किसी को भी उन्हें और किसी तरह से अपराधी मानना एक अनाधिकार चेष्ठा ही नहीं,अपने आप में भी एक अपराध ही है।
6.
लाशों पर राजनीति करने वाले इन बयानबाजों ने गोयबल्स के सिद्धांत के अनुसार बहुत जोर शोर से वे कहानियां बनानी और फैलानी शुरू कर दीं जिससे जाँच या किसी स्वीकारोक्ति से पहले ही लोग एक खास गुट और वर्ग को अपराधी मानना शुरू कर दें।
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लाशों पर राजनीति करने वाले इन बयानबाजों ने गोयबल्स के सिद्धांत के अनुसार बहुत जोर शोर से वे कहानियां बनानी और फैलानी शुरू कर दीं जिससे जाँच या किसी स्वीकारोक्ति से पहले ही लोग एक खास गुट और वर्ग को अपराधी मानना शुरू कर दें।
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1 आजाद हिन्द फौज के सर्वोच्च अधिकारी नेताजी सुभाष चन्द्र बोस सन् 1999 तक राष्ट्र सघ के युद्ध अपराधी क्यों घोषित किये गये? यदि 1945 में मर चुके थे तो उसके बाद 1999 तक युद्ध अपराधी मानना अपने आप में षक पैदा करता है।
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मेरी राय में राष्ट्रीय महिला आयोग की सिफारिश सही है, विवाहेतर दूसरे किसी विवाहित से शारीरिक संबंध सामाजिक व नैतिक रूप से गलत हैं तथा अपने जोड़ीदार के प्रति विश्वासघात हैं पर इन्हें गैरकानूनी कह किसी को अपराधी मानना चीजों को जरूरत से ज्यादा आगे ले जाना है...